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ज्वाला परीक्षण क्या है?
ज्वाला परीक्षण एक गुणात्मक विश्लेषण है, जो रसायन विज्ञान में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विश्लेषणात्मक प्रक्रिया है। ज्वाला परीक्षण का प्राथमिक उपयोग किसी दिए गए यौगिक या लवण में कुछ तत्वों की उपस्थिति का निरीक्षण और उनकी पहचान करना है। जब लवणों को गैस बर्नर पर गर्म किया जाता है या रखा जाता है, तो सभी धातु आयन रंग उत्सर्जित नहीं करते है। सामान्यतः ज्वाला परीक्षण में, किसी दिए गए यौगिक में धातु की उपस्थिति होती है।
जब लवण को गैस बर्नर पर गर्म किया जाता है, तो इलेक्ट्रॉन युक्त धातु आयन ऊर्जा प्राप्त करते हैं और निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर तक उत्तेजित होते हैं। धातु आयन, उच्च ऊर्जा स्तर पर कम स्थायी होते हैं और इस प्रकार, आयन ऊर्जा मुक्त करके मूल अवस्था में वापस आ जाते है। इसे प्रकाश ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए प्रत्येक धातु आयन प्रकाश के रूप में विभिन्न रंग उत्पन्न करता है। ऊर्जा स्तर पर आयनों में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण ज्वाला परीक्षण में प्रेक्षित होने वाली दृश्य रंगीन रेखाएँ उत्पन्न करता है।
ज्वाला परीक्षण प्रयोग का चित्र

दिए गए चित्र में, लवण के नमूने को गर्म करने के लिए गैस बर्नर का उपयोग किया जाता है, और धातु धनायन के रंग का परीक्षण करने के लिए लवण के नमूने युक्त प्लैटिनम तार का उपयोग किया जाता है।
ज्वाला परीक्षण कैसे किया जाता है?
ज्वाला परीक्षण करने की दो अलग-अलग विधियाँ हैं। ये निम्न हैं:
- प्रसिद्ध तार लूप विधि।
- वुडेन स्प्लिंट या कॉटन स्वैब विधि।
आइए, हम इन विधियों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
प्रसिद्ध तार लूप विधि
सबसे पहले हम एक स्वच्छ तार का लूप लेते हैं, जिसकी आवश्यकता इस विधि को करने के लिए होती है। सबसे सामान्य लूप प्लैटिनम या निकिल-क्रोमियम से बने होते हैं। तार लूप को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल या नाइट्रिक अम्ल में डुबोकर साफ कीजिए। उसके बाद आसुत जल से खंगालिए। अब, लूप को गैस की ज्वाला में ले जाकर इसकी स्वच्छता का परीक्षण कीजिए।
यदि एक रंगीन विस्फोट होता है, तो यह इंगित करता है कि लूप पर्याप्त रूप से स्वच्छ नहीं है। ज्वाला परीक्षण करने से पहले लूप को साफ किया जाना चाहिए। स्वच्छ लूप को एक चूर्णित या धात्विक लवण विलयन में डुबोया जाना चाहिए। नमूने युक्त लूप को ज्वाला के नीले भाग में ले जाया जाना चाहिए और ज्वाला के रंगों का निरीक्षण किया जाना चाहिए।
वुडेन स्प्लिंट या कॉटन स्वैब विधि
वुडेन स्प्लिंट या कॉटन स्वैब, तार लूप के सस्ते विकल्प हैं। इस विधि को करने के लिए, वुडेन स्प्लिंट को आसुत जल से भरे बीकर में रखकर रात भर के लिए भिगोया जाता है। बीकर से जल निकाल दीजिए या बाहर गिरा दीजिए और फिर से स्प्लिंट को स्वच्छ जल से खंगालिए। जल को सोडियम से प्रदूषित होने से बचाने के लिए सावधानी बरतें।
अब जल से भिगोए गए स्प्लिंट या कॉटन स्वैब को लीजिए और इसे धातु के उस नमूने या लवण में डुबोइए, जिसका परीक्षण किया जाना है। स्प्लिंट या स्वैब को ज्वाला में ले जाइए। नमूने को ज्वाला में ज़्यादा देर तक मत रखिए, क्योंकि इससे स्प्लिंट या स्वैब प्रज्वलित हो जाएगा। प्रत्येक परीक्षण के लिए एक नए स्प्लिंट या स्वैब का उपयोग कीजिए।
ज्वाला परीक्षण के रंग क्या हैं?
जब एक नमूने को ज्वाला में ले जाया जाता है, तो यह अलग-अलग रंग देता है। लिए गए लवण के प्रकार के आधार पर रंग उत्पन्न होते हैं। नीचे दी गई ज्वाला परीक्षण रंग सारणी, प्रत्येक ज्वाला के रंग का यथासंभव सटीक वर्णन करती है।
यहाँ ज्वाला परीक्षण में प्रेक्षित होने वाले सामान्य तत्वों की सूची दी गई है। प्रत्येक तत्व में अलग-अलग उत्सर्जन स्पेक्ट्रम होते हैं, जो उन्हें ज्वाला परीक्षण में एक विशेष रंग की ज्वाला प्रदर्शित करने देते हैं। रंगों के नाम व्यक्तिनिष्ठ हैं, इसलिए आस-पास के रंग के तत्वों को पहचानने के लिए सीखने का सबसे अच्छा तरीका, ज्ञात विलयनों का परीक्षण करना है, ताकि आप जान सकें, कि क्या प्राप्त हो सकता है।
ज्वाला रंग परीक्षण सारणी
विद्यार्थियों के लिए ज्वाला रंग परीक्षण सारणी दी गई है।
प्रतीक | तत्व | रंग |
---|---|---|
As | आर्सेनिक | नीला |
B | बोरॉन | चमकीला हरा |
Ba | बेरियम | हल्का/पीला-हरा |
Ca | कैल्सियम | नारंगी से लाल |
Cs | सीज़ियम | नीला |
Cu(I | कॉपर (I) | नीला |
Cu(II) | कॉपर (II) गैर-हैलाइड | हरा |
Cu(II) | कॉपर (II) हैलाइड | नीला-हरा |
Fe | आयरन | सुनहरा |
In | इन्डियम | नीला |
K | पोटैशियम | लाइलैक से लाल |
Li | लीथियम | मैजेंटा से कार्मीन |
Mg | मैग्नीशियम | चमकीला सफ़ेद |
Mn(II) | मैंगनीज (II) | पीला-हरा |
Mo | मॉलिब्डेनम | पीला-हरा |
Na | सोडियम | गहरा पीला |
P | फॉस्फोरस | हल्का नीला-हरा |
Pb | लेड | हल्का नीला |
Rb | रूबिडियम | लाल से बैंगनी-लाल |
Sb | ऐन्टिमनी | हल्का हरा |
Se | सेलेनियम | आसमानी |
Sr | स्ट्रॉन्शियम | किरमिजी |
Te | टेल्यूरियम | हल्का हरा |
Tl | थैलियम | शुद्ध हरा |
Zn | जिंक | नीले-हरे से सफेद-हरा |
ज्वाला परीक्षण की सीमाएँ क्या हैं?
ज्वाला परीक्षण की कुछ सीमाएँ नीचे दी गई हैं:
- ज्वाला परीक्षण हमेशा अत्यधिक सांद्रित आयनों की पहचान करने में सहायक होता है और यह आयनों की निम्न सांद्रता का पता नहीं लगा सकता है।
- चमक या रंग की तीव्रता एक नमूने से दूसरे नमूने में भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, सोडियम से उत्सर्जित पीला रंग, समान मात्रा में लिए गए लीथियम से उत्सर्जित लाल रंग की तुलना में बहुत अधिक चमकीला होता है।
- ज्वाला परीक्षण करने के लिए, प्लैटिनम तार को हमेशा साफ किया जाना चाहिए। यदि प्लैटिनम तार की सतह पर अशुद्धियाँ या संदूषक उपस्थित हैं, तो यह परीक्षण के परिणामों को प्रभावित करेगा। विशेष रूप से, सोडियम अधिकांश यौगिकों में उपस्थित होता है और ज्वाला को रंग प्रदान करता है। कभी-कभी पीले सोडियम को निस्यंदित करने के लिए एक नीले काँच का उपयोग किया जाता है।
- ज्वाला परीक्षण सभी तत्वों के बीच अंतर नहीं कर सकता है। कई धातु आयन समान ज्वाला के रंग उत्पन्न करते हैं। कुछ धातु आयन ज्वाला के रंग को बिल्कुल भी परिवर्तित नहीं करते हैं।
ज्वाला परीक्षण प्रयोग
प्रयोग का शीर्षक
धनायनों का क्रमबद्ध विश्लेषण – ज्वाला परीक्षण
प्रयोग का विवरण
ज्वाला परीक्षण: इस वर्चुअल लैब प्रयोग में, आइए हम एक लवण में कुछ धनायनों की उपस्थिति की पहचान करने के लिए ज्वाला परीक्षण के उपयोग को सीखते हैं।
प्रयोग का उद्देश्य
ज्वाला परीक्षण करना और कुछ धनायनों की उपस्थिति की पहचान करना।
आवश्यक उपकरण और सामग्री
नीचे आवश्यक उपकरण दिए गए हैं:
- लवण का नमूना
- सांद्र HCl
- प्लैटिनम तार
- पेंसिल
- वाच ग्लास
- काँच की छड़
- बीकर
- बर्नर
- ड्रॉपर
- कोबाल्ट काँच
प्रक्रिया
विद्यार्थी प्रयोग करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन कर सकते हैं।
- चरण 1: पेंसिल के उपयोग द्वारा प्लैटिनम तार के सिरे पर एक वृत्ताकार लूप बनाइए।
- चरण 2: प्लैटिनम तार को एक बीकर में लिए गए सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) में डुबोइए।
- चरण 3: जब तक लूप एक रंगहीन ज्वाला का उत्सर्जन नहीं करता है, तब तक इसे ज्वाला पर रखिए।
- चरण 4: एक वाच ग्लास में लिए गए लवण के नमूने में, एक ड्रॉपर का उपयोग करके सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) की 2-3 बूँदें डालिए।
- चरण 5: लवण और सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) को मिलाकर एक पेस्ट बनाइए।
- चरण 6: साफ प्लैटिनम तार को नमूने के पेस्ट में डुबोइए और इसे ज्वाला में ले जाइए।
- चरण 7: ज्वाला के रंग का निरीक्षण कीजिए।
- चरण 8: नीले काँच (कोबाल्ट काँच) को ज्वाला के सामने रखिए और ज्वाला के रंग का निरीक्षण कीजिए।
- चरण 9: अनुमान सारणी का संदर्भ लीजिए और उपस्थित संभावित धनायन को नोट कीजिए।
- चरण 10: दिए गए प्रत्येक नमूने के लिए प्रयोग को दोहराइए।
सावधानियाँ
प्रयोग करने से पहले विद्यार्थियों को सावधानियों को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए।
- उपयोग करने से पहले हर बार प्लैटिनम तार को साफ करना सुनिश्चित कीजिए।
- ज्वाला परीक्षण करते समय उपयुक्त सुरक्षात्मक गियर, जैसे कि लैब कोट, चश्मे आदि पहनिए।
- सांद्र HCl का प्रयोग दस्ताने पहनकर कीजिए, क्योंकि यह संक्षारक होता है।
ज्वाला परीक्षण प्रयोग पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
विद्यार्थी ज्वाला परीक्षण प्रयोग से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को नीचे देख सकते हैं।
ज्वाला में रखे जाने पर धातु लवण रंग क्यों देते हैं?
ज्वाला की ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों को उच्च ऊर्जा स्तर तक उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त होती है। जब इलेक्ट्रॉन मूल अवस्था में वापस आ जाते हैं, तो वे समान ऊर्जा के फोटॉन मुक्त करते हैं।
हम ज्वाला में लवण पेस्ट युक्त काँच की छड़ को क्यों नहीं रखते हैं?
काँच की छड़ें आमतौर पर सोडियम सिलिकेट से बनी होती हैं और उनमें उपस्थित सोडियम, ज्वाला को अपना रंग प्रदान करता है।
ज्वाला परीक्षण में प्लैटिनम तार का उपयोग क्यों किया जाता है?
प्लैटिनम इसके लिए आदर्श है, क्योंकि यह अन-अभिक्रियाशील है और ज्वाला में ऐसा रंग उत्पन्न नहीं करता है, जो अन्य धातुओं की उपस्थिति को प्रभावित कर सकें।
प्लैटिनम तार के लूप को साफ़ करने के लिए किसका उपयोग किया जाता है?
प्लैटिनम तार को आसुत जल से साफ किया जाना चाहिए और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से धोया जाना चाहिए ताकि किसी भी अशुद्धियों या सूक्ष्म अशुद्धियों को दूर किया जा सके। आमतौर पर, यौगिक का सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ एक पेस्ट बनाया जाता है, क्योंकि धातु हैलाइड, वाष्पशील होते हैं और ज्वाला परीक्षण में बेहतर परिणाम देते हैं।
ज्वाला परीक्षण में कॉपर लवण कौनसा रंग देता है?
नीला।